खोई चाभी

खोई चाभी

रोज़ रोज़ होता है किसिका इंतजार
इस सफर में नहीं हमसफर कोई यार
थाम ले जो बाहें समझे मेरा भी प्यार
क्या कभी होगा पूरा ये मेरा इंतज़ार।

आता है जब भी बरसात का मौसम
झड़ी सावन की लगती नहीं मनभावन
दिल मेरा जाने किसको रहा है पुकार
बरसों बीते या सदियां कौन करे ये हिसाब।

कभी तो आयेगी वो जादुई सुरमई सी शाम
बैठे होंगे नदिया किनारे हाथों में हाथ थाम
दिलों के बंद दरवाजे एक दिन तो खुलेंगे
जंग लगे ये ताले किसी खोई चाभी से खुलेंगे।।

आभार – नवीन पहल – १०.०४.२०२३ ❤️❤️

# प्रतियोगिता हेतु 


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7 Comments

madhura

11-Apr-2023 03:33 PM

very nice

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Punam verma

11-Apr-2023 08:52 AM

Very nice

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Abhinav ji

11-Apr-2023 08:19 AM

Very nice

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